Sunday, December 23, 2018

आईपीएल 2019: दो अलग-अलग टीमों के लिए खेलेंगे पटियाला के सिंह ब्रदर्स

मंगलवार को प्रभसिमरन सिंह और उनके ताऊ (पिता के बड़े भाई) के बेटे अनमोलप्रीत सिंह जब अपने घर पहुंचे तो देखा कि दोनों के माता-पिता टीवी पर टकटकी लगाए बैठे थे.

आईपीएल की नीलामी चल रही थी. पिछले साल बड़ी उम्मीद थी कि अनमोल को कोई टीम ख़रीद लेगी और क्रिकेट की इस बड़ी लीग में खेलने का मौका मिलेगा. लेकिन, तब बड़ी निराशा हुई थी क्योंकि किसी ने उसे नहीं ख़रीदा था.

हालांकि, इस बार सारे परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा जब अस्सी लाख में मुंबई ने उन्हें ख़रीद लिया.

प्रभसिमरन बताते हैं कि भगवान ने उनके परिवार की सुन ही ली. लेकिन, परिवार टीवी पर नज़रे गड़ाए बैठा रहा क्योंकि प्रभसिमरन की नीलामी नंबर पर थी. परिवार को कुछ उम्मीद उनसे भी थी.

लेकिन, जब नीलामी शुरू हुई तो ऐसा लगने लगा जैसे एक नहीं सभी टीमें प्रभ को चाहती हों. 20 लाख से शुरू हुई नीलामी 4 करोड़ 80 लाख पर जाकर रुकी.

संयुक्त परिवार का फ़ायदा

प्रभसिमरन की बात करते ही पंजाब मंडी बोर्ड में बतौर सेवादार कार्यरत उनके पिता सुरजीत सिंह की आंखों में आंसू भर आते हैं. कहते हैं कि कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे होगा.

सुरजीत सिंह कहते हैं, ''दफ़्तर में मैं चिट्ठियां या फाइलों को यहां से वहां ले जाने का काम करता हूं. कई सालों से यही काम करता रहा हूं. नीलामी के बाद जब यह ख़बर फ़ैली तो मेरे अफ़सर सहित सभी मुझे बधाइयां दे रहे हैं. इससे बड़ी बात मेरे लिए क्या हो सकती है?''

सुरजीत इसका सारा श्रेय अपने बड़े भाई सतिंदर गोरा को देते हैं. प्रभसिमरन भी इस बात को मानते हैं. बताते हैं कि कैसे वो एक नहीं तीन-तीन बल्ले लाते थे.

भले ही प्रभसिमरन के पिता किसी ऊंचे ओहदे पर कार्यरत न हों लेकिन संयुक्त परिवार में रहने की वजह से परिवार को कोई खास आर्थिक तंगी नहीं देखनी पड़ी. ताऊ सतिंदर पुलिस में इंस्पेक्टर हैं. दो बड़ीं बहने हैं.

घर पर लगाई है बॉलिंग मशीन
पटियाला के भीड़भाड़ वाले बाज़ार के बीच तंग गलियों से होते हुए आप गुरबक्श कालोनी की उस गली में पहुंचते हैं जहां प्रभसिमरन का घर है. गलियां इतनी तंग हैं कि वहां से दो गाड़ियां निकाल पाना एक बड़ी चुनौती है.

पर प्रभसिमरन भले ही अभी 18 साल के हैं लेकिन गाड़ी काफ़ी अच्छा चला लेते हैं. बड़ी सफ़ाई से अपनी कार को उन्होंने घर के बाहर लगाया.

उनका घर काफ़ी बड़ा है. घर में एक बॉलिंग मशीन भी लगाई है जिस पर प्रभ और उनके भाई प्रैक्टिस करते हैं. ताया सतिंदर बताते हैं कि यह बैंगलुरू से ख़रीदी थी, लगभग तीन लाख रुपये में.

Wednesday, December 12, 2018

नफरत वाले बयानों से निपटने में गूगल कितना सक्षम?

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (46) डेटा प्राइवेसी पर जवाब देने के लिए मंगलवार को अमेरिकी संसद के सामने पेश हुए। यहां उनका सामना भारतीय मूल की पहली अमेरिकी महिला सांसद प्रमिला जयपाल (53) से हुआ। सवाल-जवाब के बीच निजी बातचीत भी हुई। प्रमिला ने पिचाई की तारीफ की।

प्रमिला ने कहा, "मैं भी भारत के उस राज्य में जन्मीं हूं, जहां आपका जन्म हुआ। मैं उत्साहित हूं कि आप एक अमेरिकी कंपनी को लीड कर रहे हैं। अप्रवासियों ने इस देश के लिए महान योगदान दिया है और आप इस सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं। थैंक यू मिस्टर पिचाई।" सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु के मदुरई में हुआ था।

प्रमिला ने पिचाई से यौन उत्पीड़न पर सवाल किए
प्रमिला और पिचाई तमिलनाडु से हैं। दोनों का जन्म चेन्नई में हुआ था। प्रमिला पढ़ाई के लिए अमेरिका गई थीं। वो भारतीय मूल की पहली अमेरिकी महिला सांसद हैं। पिचाई ने साल 2004 में गूगल ज्वॉइन की। 11 साल बाद 2015 में वो कंपनी के सीईओ बन गए।

अमेरिकी संसद में पिचाई से पूछताछ के दौरान प्रमिला ने यौन उत्पीड़न और नफरत फैलाने वाले बयानों के संबंध में सवाल किए। उन्होंने पिचाई से पूछा, "क्या आप मानवाधिकार पर संयुक्त के उच्चायुक्त के इस आकलन से सहमत हैं कि रोहिंग्या जाति के खिलाफ नफरत फैलाने में सोशल मीडिया की भूमिका रही। नफरत फैलाने वाले बयानों से निपटने में गूगल कितना सक्षम है?"

पिचाई ने जवाब दिया कि नफरत फैलाने वाले बयानों से निपटने की अहम जिम्मेदारी का हमें अहसास है। हम इसे साफ तौर पर हिंसा को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर काफी सख्ती बरतने की जरूरत है। इस बारे में हमने अपनी नीतियों में साफ-साफ जिक्र किया है। हमने नीतियों को प्रभावी बनाने के लिए काफी सुधार किया है और यह प्रक्रिया जारी है।

प्रमिला ने उत्पीड़न के शिकार कर्मचारियों के लिए कंपनी की मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) अनिवार्य होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जो एंप्लॉयी पहले ही परेशान है उसे और परेशान करना अन्याय है।

पिचाई ने कहा कि गूगल के आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट में निजी जानकारी देने का कोई प्रावधान नहीं है। यौन उत्पीड़न के मामलों में हम आर्बिट्रेशन पॉलिसी में बदलाव कर चुके हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित कर्मचारी चाहें तो सीधे कोर्ट जा सकते हैं। इस मामले में हम आगे भी सुधार करेंगे। इस बारे में मुझे कर्मचारियों से पर्सनल फीडबैक भी मिला है।

Monday, December 10, 2018

पाकिस्तान को एक डॉलर भी नहीं मिलना चाहिए: निकी हेली

संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत निकी हेली ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देना जब तक ख़त्म नहीं कर देता है तब तक उसे एक डॉलर भी नहीं देना चाहिए.

हेली ने कहा कि पाकिस्तान अब भी आतंकियों को पनाह दे रहा है और अमरीकी सैनिक मारे जा रहे हैं.

निकी हेली पहली अमरीकी भारतीय हैं, जिन्हें अमरीका की किसी भी सरकार में कैबिनेट रैंक मिला हुआ है. उन्होंने कहा कि जो अमरीका को नुक़सान पहुंचा रहे हैं, उन्हें किसी भी सूरत में अमरीकी मदद नहीं मिलनी चाहिए.

निकी हेली ने अमरीकी पत्रिका द अटलांटिक को दिए इंटरव्यू में कहा है, ''यह एक रणनीतिक मामला है कि कौन देश साझेदार है और किसी देश के साथ किन मुद्दों पर काम करना है. हम इसी हिसाब से आगे बढ़ सकते हैं. मुझे लगता है कि हम बिना नतीजों का आकलन किए पैसे देना जारी रखते हैं. हमने ऐसा लंबे समय से किया है.''

हेली ने इस इंटरव्यू में कहा है, ''मिसाल के तौर पर पाकिस्तान को देख सकते हैं. हमने पाकिस्तान को अरबों डॉलर दिए, लेकिन उसने आतंकियों को पनाह देना बंद नहीं किया और हमारे सैनिक इस वजह से मारे गए. जब तक वो इन चीज़ों को ठीक नहीं कर लेता है तब तक हमें एक डॉलर भी उसे नहीं देना चाहिए. हमने अरबों डॉलर दिए लेकिन इस रक़म को उसने चीज़ों को बदलने में नहीं लगाया.''

इस साल के अंत तक निकी हेली यूएन में अमरीकी राजदूत के पद से इस्तीफ़ा दे देंगी. सितंबर महीने में अमरीका ने पाकिस्तान को मिलने वाली 30 करोड़ डॉलर की मदद को रद्द कर दिया था. अमरीका का कहना है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों के ख़िलाफ़ ठोस काम नहीं किया है.

पिछले महीने ट्रंप ने पाकिस्तान को मिलने वाली अमरीकी मदद को रोकने का बचाव किया था. ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान ने अल-क़ायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मदद की थी. अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा था कि पाकिस्तान सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना रहा.प ने ट्वीट कर कहा था, "अमरीका ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दी और उसने बदले में झूठ और छल के सिवाय कुछ नहीं दिया. वह सोचता है कि अमरीकी नेता मूर्ख हैं. हम अफ़ग़ानिस्तान में जिन आतंकवादियों को तलाश रहे हैं, उन्होंने उन्हें पनाह दी. अब और नहीं."

ट्रंप का यह ट्वीट इसलिए भी पाकिस्तान के लिए एक कड़ी चेतावनी है क्योंकि हाल ही में अमरीकी उपराष्ट्रपति ने काबुल में कहा था कि अमरीका ने पाकिस्तान को नोटिस पर रखा है.

अमरीका के आरोपों पाकिस्तान ख़ारिज करता रहा है. पिछले हफ़्ते वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान अमरीका और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी कई चीज़ें कही हैं. इमरान ख़ान ने कहा है कि वो अमरीका से बराबरी के आधार पर संबंध रखना चाहते हैं.

Sunday, December 9, 2018

अयोध्या में राम मंदिर पर संघ और बीजेपी भरोसे लायक़ नहीं- नज़रिया

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा क़रीब 26 साल बाद संघ परिवार के एजेंडे में फिर से सबसे ऊपर आ गया है.

उसे लग रहा है कि राम मंदिर निर्माण का विरोध ढाई दशक पहले जैसा नहीं रह गया है पर मंदिर बनने की राह बनती दिख नहीं रही.

संघ परिवार के पास समय नहीं है क्योंकि यह मुद्दा धर्म और आस्था के दायरे से निकलकर चुनावी राजनीति के पाले में आ गया है.

संघ को लगता है कि 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राम मंदिर निर्माण के लिए कोई ठोस क़दम उठाना ज़रूरी है.

पिछले ढाई दशक में इस मुद्दे पर भाजपा और संघ के कई रंग दिखे. 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के कई परिणाम हुए.

संघ परिवार को उस समय समझ में नहीं आया कि ख़ुश हों या दुखी. यही कारण था कि पार्टी से अलग-अलग तरह के स्वर सुनाई दिए.

विहिप (विश्व हिन्दू परिषद) के उस समय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल से लेकर भाजपा के सबसे क़द्दावर नेता अटल बिहारी तक कभी एक सुर में नहीं बोले.

सात दिसंबर 1992 की सुबह जिन लोगों ने लालकृष्ण आडवाणी को कांपती हुई आवाज़ में बोलते सुना या देखा वे लोग इस बात को अच्छी तरह समझ सकते हैं.

इसके बाद शुरू हुआ भाजपा की राजनीतिक अस्पृश्यता का दौर.

यही कारण था कि 1996 में लोकसभा की 161 सीटें जीतने के बावजूद अटल बिहारी को 13 दिन के बाद प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफ़ा देना पड़ा.

संविद (संयुक्त विधायक दल) के दौर से 1989 में वीपी सिंह की जनता दल सरकार के गठन तक मध्यमार्गी दलों ही नहीं वामदलों को भी भाजपा के साथ खड़े होने में कभी एतराज़ नहीं हुआ. पर छह दिसंबर 1992 ने सब बदल दिया.

भाजपा ने हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहली बार अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन को समर्थन देने का फ़ैसला किया था.

राम मंदिर आंदोलन से भाजपा को राजनीतिक फ़ायदा हुआ इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता पर मस्जिद गिरने का उसे राजनीतिक फ़ायदा हुआ, यह विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता.

भाजपा से राजनीतिक छुआ-छूत ख़त्म हुई 1998 में, जब उसने अपने चुनाव घोषणापत्र से राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दे हटा दिए.

केंद्र में छह साल उसकी सरकार रही पर पार्टी को राम और अयोध्या की याद आना तो दूर, उसने कुछ ऐसा किया कि विहिप और अशोक सिंघल की इस मुद्दे पर विश्वसनीयता ही ख़त्म हो गई.

Friday, December 7, 2018

इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या में सेना के जवान पर शक

इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के मामले में यूपी पुलिस सेना के जवान की भूमिका की जांच कर रही है। डीजीपी के प्रवक्ता आरके गौतम ने बताया कि एक वीडियो वायरल हो रहा है और इसमें जीतू नाम का जवान कट्टे के साथ दिखाई दे रहा है। शक है कि यह घटनास्थल पर मौजूद था।जीतू वारदात के बाद अपनी यूनिट के लिए जम्मू रवाना हो गया। यूपी की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम ने सेना के अधिकारियों से बातचीत के बाद एक टीम जम्मू रवाना की है।

एफआईआर में भी है फौजी का नाम
डीजीपी के पीआरओ आरके गौतम ने बताया कि आरोपी फौजी का नाम एफआईआर में दर्ज है। वायरल वीडियो में फौजी को कट्‌टे के साथ देखा गया है। इसी वीडियो के आधार पर पुलिस जांच को आगे बढ़ा रही है। गुरुवार रात पुलिस ने चिंगरावठी स्थित इस फौजी के घर दबिश दी।

गोकशी के शक में भड़की थी हिंसा
बुलंदशहर में सोमवार को गोकशी को लेकर हिंसा फैली थी। आरोप है कि इसकी अगुआई बजरंग दल के नेता योगेश राज ने की थी। पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर योगेश की शिकायत पर गोकशी की है। इसमें सात लोगों के नाम हैं। वहीं, दूसरी एफआईआर हिंसा और इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दर्ज की गई है। इसमें 27 के नाम हैं, 60 से ज्यादा अज्ञात हैं। इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि चार को हिरासत में लिया गया है।

मेरे बेटे ने गोली मारी तो उसे गोली मार दो

आरोपी की मां ने पुलिस पर जांच के बहाने घर में उपद्रव मचाने व घर की महिलाओं के साथ अभद्रता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर मेरे बेटे ने इंस्पेक्टर को गोली मारी है तो उसे गोली मार दो।

पांच लोग गिरफ्तार

आईजी एसके भगत ने बताया कि बुलंदशहर हिंसा के मामले में शुक्रवार को पांच गिरफ्तारी और हुई है। इनमें चन्द्र, रोहित, सोनू, नितिन, जितेंद्र शामिल हैं। इनकी पहचान वीडियो फुटेज के आधार पर हुई है। इनके नाम एफआईआर में नहीं थे। अब तक कुल 9 गिरफ्तारी हो चुकी है। जीतू फौजी पर नामजद एफआईआर है। उसकी गिरफ्तारी के लिए दो टीम जम्मू गई है। अभी नहीं पता चल पाया है कि इंस्पेक्टर सुबोध को किसने गोली मारी थी। एसआईटी की जांच में साफ हो जाएगा।

Thursday, November 15, 2018

中美贸易战、南海问题阴霾下的东盟会议

第33届东盟峰会(ASEAN)正在新加坡举行,虽然中美不是成员国,但各自派人出席,在中美贸易战阴霾下,外界把会议的关注焦点放在贸易议题上

中国总理李克强13日在一个讲座上表示,希望明年与15个国家签订“区域全面经济伙伴关系协定”(RCEP),推进区域内的经济合作,并寻求在三年内,与东盟国家完成有关《南海行为准则》的磋商。

有观察人士和日本媒体认为,签署“区域全面经济伙伴关系协定”能够抗衡美国的保护主义,但由于该协定的相关国家之间存在分歧,能否顺利达成共识仍有待关注。

APEC峰会:南太平洋群岛 中国全球角力新前哨
西方加强介入太平洋岛国以图抵消中国影响
中国最大规模南海军演透露出什么讯息?
抗衡保护主义
东盟成立于1967年,有十个东南亚的成员国,包括印尼、马来西亚、菲律宾、新加坡、泰国、缅甸、越南、老挝、文莱和柬埔寨,是推进区域合作的平台。是次峰会除了成员国以外,中国、美国、印度、俄罗斯和日本等也派人出席。

国总理李克强12日(周一)起访问新加坡,出席东盟-中国(10+1)领导人会议、东盟-中日韩(10+3)领导人会议及东亚峰会。

经贸及南海问题是会谈重点。新加坡总理李显龙在开幕时就明言,东盟国家要更加团结,面对挑战,坚守多边主义原则

李克强在一场讲座中发表了有关经贸的发言,再次重申中国在贸易的主张。他说,中方主张自由贸易,贸易如果不公正不公平,是不可能持续的,而在全球化进程和自由贸易出现的问题,应以发展的眼光去看待,以推进改革的方式去解决,但不能违背多边主义和自由贸易的基本规则,更不能另起炉灶。

李克强强调,有关会议将进一步推动中国和东盟关系的发展,并希望能在2019年完成“区域全面经济伙伴关系协定”(RCEP)的谈判。他说,今年谈判已取得实质性进展,中方会采用互利、灵活的态度同各方继续推进谈判。

RCEP包括东盟十国、中日韩、印度及澳洲,将覆盖世界近一半人口和近三分之一贸易量,协定提倡成员国互相开放市场,形成区内经济一体化,希望整合共同市场吸引外资,提高区内国家在国际市场的竞争力。

日本共同社报道,这份协定被视为可以对抗保护主义的核心,但过去5年谈判没有重大进展,报道引述谈判消息人士说,印度不想大幅削减关税,日澳希望在电子商务上有更高水平的共识,特别是在保护知识产权的问题上,各方仍然有所分歧

香港智明研究所研究总监许桢认为,中国较先进的技术、货物及服务在进入西方或日本较完善的经济体时,会遇上政治、经济和技术上的障碍,但东盟国家对中国投资进入其市场,并不太抗拒。这份协定有助中国升级转型,可以找一些周边国家率先“试水温”,先向这些国家出口有少许科技水平的产品,而这些中小型的市场,或有助缓解中国经济下行压力,亦可以在舆论声势上,提振依赖出口的中国企业的信心。